24 न्यूज कैंपस हिंदी ने टाटा संस की आईपीओ योजना और आरबीआई के कानूनी नोटिस के पीछे के रहस्य को उजागर किया है, जिससे चर्चा छिड़ गई है। टाटा संस सुर्खियों में क्यों है, और भारत के सबसे बड़े समूह में से एक के लिए आरबीआई के कानूनी नोटिस का क्या मतलब है? मामले की जटिलताओं को गहराई से समझें और भारतीय शेयर बाजार और कॉर्पोरेट परिदृश्य पर इसके प्रभाव को समझते हैं।
Will Tata SON’s Ipo Never Happen? The RBI Legal Notice
टाटा संस के आईपीओ में देरी क्यों हो रही है?
कानूनी और वित्तीय कारक
आरबीआई कानूनी नोटिस क्या है
और इसका टाटा संस पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
टाटा संस की कॉर्पोरेट संरचना और इसकी आईपीओ तैयारी
यदि टाटा संस सार्वजनिक हो जाती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर इसका प्रभाव पड़ेगा
आरबीआई-टाटा संस मामले के संभावित समाधान पर विशेषज्ञ की अंतर्दृष्टि
अक्सर जब भी मार्केट की बातें होती है तो जब मार्केट में कोई कंपनी पहली बार लिस्टेड होने आती है तो आईपीओ लेकर आती है
एक कंपनी है वह चाहता है कि आप लोग भी उसके अंदर हिस्सेदार बने वह आप लोगों से पैसा लेकर के वह आप लोगों को अपना Share का कुछ हिस्सा दे देता है यह आसान भाषा में समझिए तो यह आईपीओ है!
यह जो आईपीओ है इसके बारे में जो बात करेंगे यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ में से एक है और इस आईपीओ का नाम है Tata Son’s
Tata Sons और RBI :-
Tata Sons और Rbi के बीच में कुछ लफड़ा है और ऐसे में टाटा संस का आईपीओ आएगा या नहीं क्या मामला है यह सब बातें अभी फिलहाल सुर्खियों में बनी हुई है
यह मामला क्या है आईऐ समझते हैं डिटेल में विस्तार से
एक लीगल नोटिस मिला है आरबीआई को उसमें यह है कि करसन का कहना है कि एंट्रेंस रेट इंवाल्विंग वेणु श्रीनिवास या वेणु श्रीनिवास कौन है तो यह टाटा Son’s के अंदर एक डायरेक्ट है जो कि टाटा संस का भी डायरेक्टर है और आरबीआई में भी डायरेक्ट है
तो आरबीआई टाटा संस को कुछ परमिशन देता है और जब आरबीआई परमिशन देता है तो टाटा सन को उन दोनों जगह पर एक ही आदमी Common है वह है वेणु श्रीनिवास
यह जो है टाटा सन में भी डायरेक्टर और आरबीआई में भी डायरेक्ट है टाटा सन को आरबीआई से परमिशन चाहिए आदमी तो दोनों जगह में एक ही है
लेकिन उसमें मुंबई के सुरेश तुलसीराम पाटिलखेड़े ने भारतीय रिजर्व बैंक यानी(RBI) को कानूनी नोटिस भेजा है
इस नोटिस में tata संस और आरबीआई के बीच चल रहे विवाद पर सवाल उठाए गए हैं पाटिलखेड़े का कहना है कि टाटा सन से नियमों से बचने की कोशिश कर रहे हैं वह पब्लिक लिस्टिंग से भी बचाना चाहती है आरबीआई के अंदर हेतु के टकराव का भी जिक्र किया गया है बिजज बज की रिपोर्ट में यह बात कही गई है!
टाटा ग्रुप कंपनी की स्थापना:- गुजरात के नवसारी से संबंध रखने वाले जमशेदजी टाटा ने Tata Group की शुरुआत की. उनके दो बेटे थे सर रतन टाटा (रतन नवल Tata) और सर दोराबजी Tata (रतन दोराबजी Tata). 1919 में रतन टाटा ट्रस्ट और 1932 में दोराबजी Tata Trust बनाया गया। Aaye Aaj Tata trust main Yahi दो Sabse Badi trust hai
बाद में उनके परिवार के लोगों या इसके द्वारा समाज की भलाई के लिए अलग-अलग ट्रस्ट बनाए गए
इसने trust के अलावा अलग-अलग ट्रस्ट की शुरुआत भी की इसमें अलग-अलग ट्रस्ट है एजुकेशन ट्रस्ट ,टाटा वेलफेयर ट्रस्ट, नवाजबाई रतन टाटा ट्रस्ट, जमशेदजी tata ट्रस्ट इत्यादि इनमें शामिल है
इस तरह से टाटा परिवार के सदस्यों को संपत्ति संभालने का काम और इन सभी ट्रस्ट को संभालने का काम टाटा ट्रस्ट करता है
Tata Son’s की भूमिका:- अब जिस टाटा Son’s में लगभग 66% हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट रखता है वह क्या काम करती है आप लोगों को बता दो की tata sons’असलियत में टाटा ग्रुप की एक होल्डिंग कंपनी है
Tata Group अलग-अलग सेक्टर में 100 से भी ज्यादा कंपनी काम करती है
इनमें से करीब करीब 26 कंपनियां ऐसा है जो शेयर बाजार में लिस्ट है इन सभी Company’s को मैनेज करने का काम टाटा Son’s करती है!
जो लोग इन 26 कंपनियों में पैसा लगा करके बैठा है कि उनके ऊपर तो टाटा संस है और टाटा ग्रुप जो टाटा संस को चला रहे हैं उनके खाते में कितना पैसा है हम लोग सोच रहे हैं कि टाटा संस तो मालो माल ही है लेकिन पता चल रहा है 4 लाख करोड़ का कर्जा है ऐसे में अगर इसका हालत पता चल गया तो लोगों को उनके ऊपर से ट्रस्ट हट जाएगा
तो इसलिए जरूरी है RBI की शर्तों के अनुसार जो यह CIC है जो और कंपनी के होल्डिंग बैंक बैठे हुए हैं जो कि कोड़ इन्वेस्टमेंट कंपनी बनकर बैठे हुए हैं उनका पब्लिक होना जरूरी है
क्योंकि पब्लिक का मतलब जनता के सामने जाए अपना आईपीओ लेकर आए
और आईपीओ लेने जाएंगे आप तो आपको अपनी सारी फाइनेंशियल हेल्थ बतानी पड़ेगी कि मेरी फाइनेंशियल हेल्थ कैसी चल रही है
अब आप लोग जरा सा सोचो Tata Son’s को यह कहना पड़े कि मैं आईपीओ नहीं लाना चाहता हूं
आप लोगों को पता हो टाटा संस की जो वैल्यूएशन लगाई गई है उसके अनुसार अगर यह आईपीओ ले आता तो 55000 करोड़ का आईपीओ आता ऐसे में मानना है मार्केट की जानकारी का की इतना बड़ा कंपनी है Tata Group
CIC:-Cic का कंडीशन है कि आपको लिस्टेड होना पड़ेगा या लिस्टेड होने से बचना चाहते हैं क्यों बचाना चाहता है क्योंकि इनके पास कितना पैसा है वह पता चल जाएगा कितना कर्ज है वह भी पता चल जाएगा किस लोन लिया है वह भी पता चल जाएगा क्योंकि यह सब सेबी के माध्यम से जाएगा
अभी सेबी के सामने उनकी नीचे की Company’s तो जाती है ऊपर वाले नहीं जा रहे है तो बस सब कुछ तो बढ़िया चल रहा होगा
इसलिए इन्होंने आरबीआई के पास निवेदन किया है निवेदन क्या है टाटा संस कह रहा है की CIC का दर्जा वापस ले लो
RBI के आदेश अनुसार इन्हें सितंबर 2025 तक अपने आईपीओ को लाना पड़ेगा यह डेट लाइन है इन्होंने उल्टा आरबीआई से कहा cic का दर्जा ले लो हम आईपीओ नहीं लाना चाहते हैं
जनता को लग रहा है कि देखो या अपना हिस्सा दुनिया को नहीं देना चाहते लेकिन सच क्या है सच यह है कि खुद CIC से डर रहे हैं और हमको बहुत सी बातें बताने पड़ेगी
Lekin karje ki news market Mein Hai To iska matlab yah Badi baat hai
ऐसे में आरबीआई के पास यह फाइल गई हुई है तो जिसने इस पर आरोप लगाया है आरबीआई पर और टाटा संस पर वह क्या है वह बोले जो वेणु श्रीनिवास है जि की TVS का अध्यक्ष है वह टाटा सन मैं भी बैठा है और वह आरबीआई में भी बैठा है
Tata Son’s ने मांग की है मुझसे cic की क्रांतिकारी ले लो मुझे कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी का दर्जा मुझे वापस ले लो किसको आवेदन किया है वह आवेदन किया आरबीआई को
आवेदन करता भी है वेणु श्रीनिवास और उधर आवेदन को परमिशन देने वाला भी वेणु श्रीनिवास ही है ऐसे में इंटरेस्ट कंपलेक्स हुए
अगर यह कंपलेक्स आफ इंटरेस्ट है और आरबीआई इन से cic का दर्जा वापस लेकर इनको आईपीओ से फ्री कर देता है तो यह देश का नुकसान है
यह तो सबके सामने आना चाहिए था
बस असली फसाद का जर यहीं से शुरू हुआ है इसी कारण से यह न्यूज़ बनी हुई है बाकी सब जो बात है वह सब फर्जी बात है
निष्कर्ष:- फिलहाल के लिए आप लोग इस आर्टिकल में लिखे हुए बातों को समझ लो और ध्यान से पढ़ लो धन्यवाद